-प्रदीप शर्मा-
BHIND जैसे-जैसे मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं सरकारी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने डट कर खड़े हो रहे हैं इसी क्रम में आज अपनी पुरानी मांगों को लेकर आजाद अध्यापक संघ के बैनर तले आज भिंड से वरिष्ठता के साथ पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आंदोलन का शंख बजाकर शंखनाद किया गया है, कार्यक्रम आजादी के आंदोलन के अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती के अवसर पर भिंड के संस्कृति मैरिज गार्डन में हजारों की तादात में कर्मचारियों ने एकत्रित होकर आजाद अध्यापक संघ की प्रदेश अध्यक्ष शिल्पी सिवान के नेतृत्व में मंच से शंख ध्वनि कर आंदोलन का शंखनाद किया है, कर्मचारियों ने मांग की है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती है तो एक-एक कर्मचारी के पीछे उनके परिवार के पांच-पांच सदस्य है तो वह अपनी वोट की ताकत से सरकार को सत्ता से बेदखल करने के नहीं चूकेगें,
ये है पूरा मामला
दरअसल आजाद अध्यापक संघ की मांग है कि उनकी वरिष्ठता के क्रम को सरकार ने शून्य किया है उसे फिर से बहाल कर पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए, इसको इस तरह समझ सकते हैं कि 1998 के बाद सेवा में आये शिक्षकों, स्वास्थ्य विभाग कर्मचारी और पंचायत सचिवों की सेवा को शून्य मानते हुए 2007 में सरकार द्वारा लिए गये निर्णय में 2007 से नियुक्त माना गया इतने पर भी नहीं रुकी सरकार फिर उन्होंने 2018 में एक बार फिर उनकी सेवा को शून्य कर 2018 से नियुक्त माना गया, जिसके परिणाम स्वरूप 30 साल की सेवा देने के बाद भी उस शासकीय कर्मचारी की पेंशन हजार रुपए से कम ही बन रही है, जिससे रसोई के लिए एक सिलेंडर भी नहीं खरीदा जा सकता है परिवार का भरण पोषण कैसे होगा, ऐसे में उनकी मांग है कि उनका उनके परिवार का रिटायर होने के बाद गुजारा कैसे होगा, जबकि कर्मचारियों ने जीवन का एक अहम हिस्सा सरकार की नौकरी को दे चुके हैं, सरकार ने उनके साथ जो छल किया है उसे सुधारा जाए।
शिल्पी सिवान है क्यों ?
आजाद अध्यापक संघ की प्रांतीय अध्यक्ष शिल्पी सिवान उस समय सुर्खियों में आई थी जब 1998 में सेवा में आए शिक्षकों को एक बार फिर 2018 में शिक्षकों की वरिष्ठता को शून्य करते हुए 2018 से नियुक्त माना गया था, जिसके विरोध स्वरूप प्रदेश भर में आजाद अध्यापक संघ के बैनर तले आंदोलन की शुरुआत भोपाल के जंबूरी मैदान से हुई थी जहां पर शिल्पी सिवान में अपनी मांगों को ना मानने पर केश त्याग करने की घोषणा की थी,लेकिन सरकार का कोई भी प्रतिनिधि ना पहुंचने पर शिल्पी सिवान ने सबसे पहले मुंडन करा कर अपने केस त्याग कर मध्य प्रदेश सरकार को तर्पण कर दिए थे,इसके बाद प्रदेश भर में शुरू हुआ मुंडन का सिलसिला सालों चलता रहा और सरकार अपनी हठधर्मिता पर अडी रही।
मंच से सरकार को एक बार फिर डेडलाइन
शिल्पी सिवान ने मंच से घोषणा की कि वह सरकार से अपनी मांगों को लेकर रक्षाबंधन तक की डेडलाइन दे रही हैं, अगर रक्षाबंधन तक उनकी मांगे नहीं मानी गई तो इस बार सरकार को कर्मचारियों का शंखनाद महंगा साबित होगा, और सरकार सत्ता से बेदखल होने के लिए तैयार रहें, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रांतीय अध्यक्ष शिल्पी सिवान रही वही कार्यक्रम की अध्यक्षता आजाद अध्यापक संघ के ग्वालियर चंबल संभाग संदीप कुशवाहा ने की, बाहर से आए विशिष्ट अतिथियों में कटनी से आजाद अध्यापक संघ प्रांतीय संयोजक रमाशंकर तिवारी, आजाद अध्यापक संघ महा प्रांतीय महासचिव चंद्रभूषण किरार, प्रांतीय संगठन मंत्री अजीत पाल यादव सहित कार्यक्रम में 4000 से अधिक कर्मचारियों ने हिस्सा लेकर आंदोलन के शंखनाद की शुरुआत की।