ग्वालियर। लोगो को घूमने के लिए बनाए पार्कों में धार्मिक स्थलों के निर्माण पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की मौजूदगी वाली डिवीजन बेंच काफी नाराज दिखी । हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में अतिक्रमण से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहाकि शहर में मन्दिर और मजार बहुत है। पार्कों को पार्क ही रहने दें । इनमे मन्दिर और मजारों की क्या जरूरत है । उन्होंने प्रशासन से कहाकि अतिक्रमणकारियों को जेल भेजो । कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी कि अगर पार्क से अतिक्रमण नही हटाया गया तो कलेक्टर और कमिश्नर की व्यक्तिगत पेशी होगी।
याचिकाकर्ता समीर शर्मा ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ ने एक याचिका दायर की है जिसमे कहा गया है कि समाधिया कॉलोनी के पार्क में अतिक्रमण कर मन्दिर और मजार का निर्माण किया गया है। इस मामले पर सुनवाई एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बैंच ने की । सुनवाई के दौरान निगम की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट दीपक खोत ने कोर्ट को बताया कि पूर्व में भी इन स्थानों पर अतिक्रमण किया गया था जिसे बाद में हटा दिया गया था। कोर्ट को यह जानकारी भी दी गई कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हर जिले में एक कमेटी का गठन किया गया गया है जिसकी कमान जिले के कलेक्टर को सौंपी गई है। यह कमेटी ऐसे तमाम धार्मिक निर्माण जो एनक्रोचमेंट की श्रेणी में आते हैं ,उन पर विचार कर निर्णय लेकर कार्यवाही करती है।
जस्टिस कैत और जस्टिस पाठक की युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान इस पर काफी सख्त रुख अपनाया और नाराजी भी जाहिर की। आज मन्दिर और मजार बनाई है , कल कोई आकर चर्च बनाएगा …फिर पार्क कहां बचेगा ? पार्क को पार्क ही रहने दो । शहर में बहुत सारे मन्दिर और मजार है । मजार के बाद कल तीसरा और फिर चौथा आएगा। फिर तो ये ही बनते रहेंगे बस।
हाईकोर्ट ने कहा जिन लोगो ने अतिक्रमण किया है उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल की सलाखों के पीछे डालें । हाईकोर्ट ने कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिए कि वे अतिक्रमण हटाएं आदेश का पालन न होने पर दोनो को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को भी कहा । मामले की अगली सुनवाई 11 नवम्बर को होगी ।