इंफाल । मणिपुर में जारी हिंसा में अब पीएम मोदी से दखल देने की विपक्ष ने गुहार लगाई है। कांग्रेस ने कहा है कि यदि पीएम अपील करते हैं तो शायद हिंसा रुक जाएगी। उन्होंने पीएम मोदी से विदेश जाने से पहले सर्वदलीय बैठक् बुलाने की भी जरुरत बताई है। आज मणिपुर में विद्रोह एकता दिवस मनाया जा रहा है। इसलिए आज हिंसा की घटनाएं अधिक होने की आशंका है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राजकीय दौरे के हफ्तों बाद हिंसा की ताजा घटना में बिशुपुर के क्वाकटा कस्बे और चुराचांदपुर के कंगवई गांव में स्वचालित हथियारों से 400-500 राउंड गोलियां चलाई गईं। इंफाल में सेना, असम राइफल्स और मणिपुर रैपिड एक्शन फोर्स ने दंगाइयों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए आधी रात तक संयुक्त मार्च किया। पश्चिम इंफाल के एक पुलिस थाने से भीड़ ने हथियार लूटने की भी कोशिश की जिसे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया। आज मणिपुर में विद्रोह एकता दिवस मनाया जाता है और कर्फ्यू लागू है। इंटरनेट सेवाएं भी ठप हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा की ताजा घटनाओं के बाद विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शांति की अपील करने और 20 जून को अपने विदेश दौरे पर जाने से पहले मणिपुर में जातीय हिंसा पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाने के लिए कहा है।
हिंसा की ताजा घटनाओं में मणिपुर में बीजेपी नेताओं के घरों पर हमले हुए हैं। केंद्रीय मंत्री आरके सिंह के घर में आग लगाए जाने के एक दिन बाद भीड़ ने विधायक बिस्वजीत के घर में आग लगाने की कोशिश की। इसी तरह इंफाल में पोरमपेट के पास भाजपा नेता शारदा देवी के घर को भी निशाना बनाया। दोनों ही मौकों पर सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर किया। यहां गौरतलब है कि मणिपुर में हर साल 18 जून को विद्रोह एकता दिवस मनाया जाता है। इसके कारण हिंसा बढ़ने की अधिक आशंका है। गौरतलब है कि 2001 में 18 जून के आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 18 व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देने के लिए विद्रोह एकता दिवस हर साल मनाया जाता है।
इधर कांग्रेस ने 2001 के आंदोलन का जिक्र करते हुए पीएम मोदी से शांति की अपील करने का आग्रह किया। कांग्रेस ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री उनके अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते, तो वह विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाएगी। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर 22 साल पहले 18 जून, 2001 को भी जल रहा था। उस समय विधानसभा, स्पीकर का बंगला, और सीएम सचिवालय को जला दिया गया था और साढ़े 3 महीने तक जाम लगा रहा। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और दो बार सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। गौरतलब है कि मणिपुर में एक महीने पहले मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच भड़की जातीय हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान चली गई है। वर्तमान में राज्य पुलिस बलों के अलावा कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए मणिपुर में लगभग 30,000 केंद्रीय सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। जो स्थिति को काबू किए हुए हैं।
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मणिपुर में हिंसा रोकने विपक्ष ने पीएम मोदी से लगाई दखल की गुहार
विदेश जाने से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाकर मसला सुलझाने की मांग
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