नई दिल्ली । कांट्रेक्ट साइन होने से पहले ही रूसी कंपनी से विवाद के चलते वंदे भारत एक्सप्रेस योजना को पलीता लगने जा रहा है। गौरतलब है कि रेलवे ने देश में स्लीपर सुविधा वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन बनाने की योजना बनाई है। लेकिन यह योजना खटाई में पड़ती दिख रही है। इसके लिए भारतीय और रूसी कंपनियों के एक कंसोर्टियम को 40,000 करोड़ रुपये का ठेका मिला था। इसमें सरकारी कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड और रूस की कंपनी टीएमएच ग्रुप शामिल हैं। लेकिन ऑनरशिप को लेकर दोनों कंपनियों के बीच विवाद हो गया है। रूसी कंपनी का कहना है कि आरवीएनएल जॉइंट वेंचर में ज्यादा हिस्सा मांग रही है। जबकि रेलवे ने 120 से 200 स्लीपर वंदे भारत ट्रेन सप्लाई करने के लिए निविदा निकाली थी। इसे टीएमएच-आरवीएनएल ने जीता था। लेकिन रेलवे ने अब तक सप्लाई के लिए कंसोर्टियम के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं किया है।
रूस की रोलिंग स्टॉक बनाने वाली कंपनी टीएमएच ग्रुप के एक अधिकारी ने ईटी को बताया कि आरवीएनएल जॉइंट वेंचर में ज्यादा हिस्सा मांग रही है। यह दोनों कंपनियों के बीच हुए करार का उल्लंघन है। इस करार को अब पलटा नहीं जा सकता है और यह बाध्यकारी है। कंपनी ने इस बारे में सरकार के उच्च अधिकारियों के साथ बात की है।
इस मामले में जानकारों का कहना है कि दोनों पार्टनर कंपनियों के बीच विवाद के कारण डील साइन करने में देरी हुई है। बोली लगाने से पहले इन कंपनियों के बीच एक डील हुई थी। इसके मुताबिक कंसोर्टियम में टीएमएच ग्रुप की सब्सिडियरी मेट्रोवैगनमाश की 70 फीसदी हिस्सेदारी होगी। रूसी ट्रेन कंट्रोल प्रॉड्यूसर कंपनी एलईएस की पांच फीसदी और आरवीएनएल की 25 फीसदी हिस्सेदारी होगी। टीएमएच ग्रुप के भारत में बिजनस हेड सर्गेई मेदवेदेव ने कहा कि आरवीएनएल अब 69 फीसदी हिस्सेदारी मांग रही है। दोनों कंपनियों ने इसके लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता किया है जिसमें बदलाव नहीं किया जा सकता है।
वंदे भारत (Vande Bharat) प्रोजेक्ट के लिए जरूरी अधिकांश इक्विपमेंट भारत में ही उपलब्ध हैं। सप्लायर्स की पहचान कर ली गई है और उनके साथ लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट किया गया है। रेलवे ने वंदे भारत ट्रेन सेट्स की सप्लाई के लिए दिसंबर 2022 में बोली आमंत्रित की थी। इसे मार्च में खोला गया था। टीएमएच-आरवीएनएल ने प्रति ट्रेन 120 करोड़ रुपये की सबसे कम बोली लगाई थी। इसके अलावा बीएचईएल-टीटागढ़, बीईएमएल-सीमंस, अल्सटॉम ट्रांसपोर्ट और मेधा सर्वो ड्राइव्स-स्टैडलर रेल ने भी बोली लगाई थी। देश में अभी चल रही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में चेयरकार सुविधा है।