ग्वालियर। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान द्वारा अंतरराष्ट्रीय पत्र दिवस पर “चिठिया हो तो हर कोई बांचे” नाम से एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसकी मुख्य अतिथि गूंज के डायरेक्टर और समाजसेवी सुश्री कृति सिंह थी जबकि अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली ने की ।
इस मौके पर देव श्रीमाली ने बताया कि चिट्ठियों की भावनात्मक परम्परा बचाने और सहेजने के मकसद से 2010 में पत्रकार शरद श्रीवास्तव द्वारा शुरू की गई यह मुहिम अब परवान चढ़ गई है । संस्थान के आह्वान पर पटना, भोपाल,मुम्बई,नोएडा ,दिल्ली सहित अनेक स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किये गए। ग्वालियर में आयोजित कार्यक्रम संस्थान ने गूंज के सहयोग से आयोजित किया गया।
इस मौके पर पत्रकार देव श्रीमाली ने चिट्ठी के भावनात्मक पहलूओ पर प्रकाश डाला । उन्होंने बताया कि आज तंकनीकी के दौर में पत्र विधा खत्म हो गई है इसलिए प्रेम भाव भी खत्म हो रहा है । पत्र या चिट्ठी सिर्फ सूचना का आदान प्रदान का माध्यम नही होता है बल्कि इसमें प्रेम पगा होता है। खतों में लिखे शब्द ताउम्र जेहन में रहते है । जबकि वॉटशेप और ईमेल में ये बात नही होती।
इस मौके पर आए युवक – युवतियों ने जब पहली बार अपने हाथ मे वालपेन पकड़कर पोस्टकार्ड पर अपने किसी प्रिय को चिट्ठी लिखी तो उनके चेहरे की खुशी देखने लायक थी। आरजे प्रिया कहती हैं कि आज पत्र लिखा तो इसके सुखद अहसास का पता चला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं कृति सिंह ने कहा कि वे आज से चिट्ठियों को पानी बचाओ के लिए चल रहे अपने इंद्रधनुष अभियान से जोड़ रहे है। इसके वालेंटियर स्कूलों में जाकर बच्चों को पोस्ट कार्ड इस आग्रह के साथ भेंट करेंगे कि वे इसमें पानी बचाने का अनुरोध लिखकर किसी को पोस्ट करें।