ग्वालियर।श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर ग्वालियर के फूल बाग स्थित रियासत कालीन ऐतिहासिक गोपाल मंदिर में भगवान श्री कृष्ण गोपाल और राधा रानी का बेशकीमती करोड़ों रुपए के आभूषणों से श्रृंगार किया गया कड़ी सुरक्षा के बीच जिला कोषालय से इन गहनों को मंदिर परिसर तक लाया गया जहां पुलिस प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों की मौजूदगी में इन जेवरातों से भगवान का श्रृंगार किया गया जिसके बाद मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए. इस दौरान पूरे मंदिर परिसर को कड़े सुरक्षा पहरे में लिया गया है और सुरक्षा के लिए दर्जनों सीसीटीवी कैमरे भी आसपास लगाए गए हैं।
एंटीक गहनों से किया गया श्रृंगार
ग्वालियर के फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव इस वर्ष भी बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जा रहा है और गोपाल मंदिर में विराजमान भगवान श्रीकृष्ण व राधाजी का श्रृंगार हीरे, माणिक व पन्ने जड़ित सवा सौ करोड़ से अधिक के एंटीक गहनों से किया गया । गहने सुबह 10:30 बजे सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के लाकर से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गोपाल मंदिर लाये गये ।और श्रृंगार के बाद भक्तों के दर्शनों के लिये मंदिर के पट खोल दिये गये । आपको बता दें कि ग्वालियर के सिंधिया रियासत कालीन 100 वर्ष से ज्यादा प्राचीन गोपाल मंदिर पर हर वर्ष जन्माष्टमी महापर्व पर राधा रानी और भगवान गोपाल कृष्ण का बेस कीमती सवा सौ करोड़ से अधिक कीमत के जेवरातों से श्रृंगार किया जाता है. जिसके लिए एक रोज पूर्व ही मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था चौकस करने के साथ ही मंदिर की साज सज्जा का काम शुरू कर दिया गया था पूरे मंदिर को जहां सीसीटीवी कैमरा की निगरानी में लिया गया है तो वही देर रात के बाद ही मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था में दो से ढाई सैकड़ा पुलिस जवान लगा दिए गए थे इस गोपाल मंदिर की स्थापना करीब 102 साल पहले सिंधिया घराने ने ही कराई थी। यह बेशकीमती रत्न जड़े गहने भी सिंधिया घराने की देन हैं। जब राधा-कृष्ण इन गहनों को पहनते हैं तो उनकी सज्जा सभी को मोहित कर देने वाली होती है।
माधवराव सिंधिया प्रथम ने की थी मंदिर की स्थापना
गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने की थी। उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्न जड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे। इनमें राधा-कृष्ण के 55 पन्ना जड़ित सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी जिस पर हीरे और मालिक लगे हैं, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन हैं। हर साल जन्माष्टमी पर इन जेवरातों से राधा-कृष्ण का शृंगार किया जाता है। इस स्वरूप को देखने के लिए भक्त सालभर का इंतजार करते हैं। यही वजह है कि भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगा रहता है।
पन्ना हीरे और मानिक से जड़े हुए हैं जेवरात
गोपाल मंदिर में भगवान के जो जेवरात हैं उनमें सोना-चांदी के जेवरात में माता राधा के सात लड़ी के हार में पन्ना, हीरे और माणिक जड़े हुए हैं। राधा-कृष्ण के मुकुट में हीरे के साथ ही पदम, पन्ना जड़े हैं। कृष्ण की बांसूरी सोने की है और उस पर भी हीरे लगे हैं। राधा-कृष्ण के हार में बेशकीमती नीलम, पुखराज, पन्ना, माणिक लगे हैं। पूरे गहने सोने के हैं और उनमें हीरे, मोती, पन्ना, माणिक, नीलम, पुखराज लगे हैं.