ग्वालियर। पीएचई में हुए 16 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने उन खातों को सीज करवाया है जिनमें घोटाले की राशि भेजी गई थी। साथ ही ट्रेजरी ऑफिस में राशि खातों में भेजने को लेकर कर्मचारियों से पूछताछ की गई है और पीएचई के अधिकारियां को भी पूछताछ के लिए बुलाया है एएसपी ऋषिकेश मीणा ने बताया कि ट्रेजरी ऑफिस ने दो दिन में रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के लिए कहा है। इसके बाद काफी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी। पुलिस जांच में इस घोटाला कांड में मुख्य आरोपी के अलावा और भी एक-दो लोगों के नाम सामने आए हैं। पुलिस संदिग्धों की भूमिका की जांच कर रही है।
वीओ- पीएचइ में हुए 16.42 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच के लिए पुलिस ने सोमवार को 20 संदिग्ध खाते सीज कराए हैं। पीएचइ में हुए इस घोटाले ने सरकारी सिस्टम में लापरवाही से मिलीभगत तक की पोल खोलकर रख दी है। कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के मद की राशि को एक पंप आपरेटर हीरालाल ने स्थापना प्रभारी का चालू प्रभार रहते हुए बड़ी आसानी से अकाउंट नंबर बदलकर अपने रिश्तेदारों के खातों में डाल दिया। इसके अलावा बिना अधिकार फर्जी क्लोरीन खरीद दर्शाकर 6.24 करोड़ रुपए का पेमेंट एक हाथकरघा फर्म के खाते में कर दिया गया। मामले का खुलासा होने के बाद हीरालाल के अलावा फर्म का संचालक प्रदीप पलरया भी गायब है इसके चलते जांच की पूरी जिम्मेदारी अब पुलिस के पास आ चुकी है, और इस मामले में हीरालाल के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई है।पुलिस को सूचना मिली है कि इस पूरे घोटाले का मास्टर माइंड सिर्फ हीरालाल नहीं है, बल्कि पर्दे के पीछे तीन अधिकारियों की भी भूमिका है। ऐसे में पुलिस ने इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ सुबूत जुटाने शुरू कर दिए हैं। इसके अलावा पुलिस की टीम ने सोमवार को पीएचइ कार्यालय में जाकर रिकार्ड मांगा। पीएचइ ने रिकार्ड की फोटोकापी दे दी है। ऐसे में पुलिस ने चिट्ठी लिखकर मूल दस्तावेज मांगे हैं और मूल दस्तावेजों की जांच के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेंगी।
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