GWALIOR. ग्वालियर प्रवास पर पहुंची कथावाचकऔर मोटिवेटर जया किशोरी ने राजनीति मैं धर्म के प्रवेश पर राजधर्म की सीख देते हुए कहा है कि धर्म राजनीति हो तो श्री कृष्ण जैसी राजनीति हो । धर्म में राजनीति का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, कृष्ण ने भी महाभारत में राजनीति की थी अगर कृष्ण सी राजनीति करेंगे तो जीत जाएंगे, और अगर दुर्योधन जैसी राजनीति करेंगे तो पराजय मिलना निश्चित है. राजनीति में प्रवेश के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका बिल्कुल मन राजनीति में आने को नहीं है।
अच्छी सोच के लिए किसी के साथ जाना उचित
राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोगों द्वारा अपनी सत्ता को बचाने सत्ता लाभ के लिए संतों की शरण में जाने के सवाल पर जया किशोरी का कहना है कि अच्छी सोच के साथ कोई अगर किसी व्यक्ति के साथ जाता है तो उसमें किसी तरह की बुराई नहीं है. फिर वह व्यक्ति किसी भी क्षेत्र से जुड़ा हो चाहे बिजनेसमैन हो या साधारण व्यक्ति हो या फिर कोई संत हो अच्छे मन से और अच्छे विचार से किसी से जुड़ने में कोई गलत बात नहीं है.
बालपन से ही भगवान से हो गया लगाव
कथा वाचक जया किशोरी ने 6 वर्ष की उम्र से ही भगवान की बाल लीलाओं का बखान करना शुरू कर दिया था और धार्मिक भजन गाना शुरू कर दिए थे उनके धर्म की ओर झुकाव और प्रेरणा के सवाल पर उन्होंने कहा कि 6 साल की उम्र से मैंने धार्मिक भजन गाए थे और 12-13 साल की उम्र से कथा कर रही हूं। श्री कृष्ण और भगवान श्री राम की कथाओं कहानियों को सुनकर ही उनका धर्म और अध्यात्म की ओर झुका हुआ है । उनका कहना है की काफी कम उम्र से ही उनकी जिज्ञासा भगवान के प्रति बढ़ती गई और भगवान से उनका लगाव ही था कि लोग आज उनकी कथा को सुनने बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
आदिपुरुष पर क्या बोलीं जया किशोरी
फिल्म आदि पुरुष में रामायण के पात्रों का गलत चित्रण होने और संवाद को लेकर मच रहे विवाद पर जया किशोरी ने कहा कि फिल्म कैसे पास हुई यह सरकार का मामला है और सरकार की सरकार जाने लेकिन मैं तो इतना ही कहना चाहूँगी की आप जो देख रहे हैं वह देखिए लेकिन उससे जुड़ी नॉलेज भी रखिए खासकर बच्चों को छोटी उम्र से ही धार्मिक ग्रंथ और अध्यात्म की जानकारी दिया जाना जरूरी है बच्चों को अध्यात्मिक से जुड़े और बचपन से ही उन्हें धर्म और साहित्य के बारे में बताएं मैं केवल इतना कहना चाहती हूं की पिक्चर कोई भी हो उसमें मर्यादा होनी चाहिए भगवान राम और रामायण से लोगों की श्रद्धा जुड़ी है उसका ध्यान रखा जाना जरूरी था.