मुम्बई । ‘मौजूदा दौर में बहुत जरूरी है अक्षर की पूजा,अक्षर की वंदना।आज श्रुति व संवाद की परंपरा खत्म हो रही है।उसे जीवित व जाग्रत रखना आवश्यक है।हरीश पाठक एक बेहतर मनुष्य बनने की दिशा में आगे बढ़े।लम्बी पत्रकारीय पारी के सँग साथ उन्होंने अपने कथाकार को जिंदा रखा।अपने अनुभवों को वे कथा के माध्यम से सामने लाये।’
यह विचार महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ शीतलाप्रसाद दुवे ने श्रुति संवाद कला एवं साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित अपने पहले आयोजन ‘रूबरू:अपने प्रिय लेखक से मिलिए’ में इस बार कथाकार,पत्रकार हरीश पाठक से मुलाकात के मौके पर प्रेस क्लब में आयोजित समारोह में व्यक्त किये।
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश तिवारी व आयोजक,साहित्यकार अरविंद राही के सवालों के जवाब देते हुए हरीश पाठक ने कहा,’ कहानी मेरा पहला प्यार है।कहानी मेरा जीवन,मेरी जीवन शैली और मेरे जीने का आधार है।पत्रकारिता,सम्पादकीय भूमिका को ताकत मेरा कथाकार ही देता है।हिंदी कहानी के शीर्ष कमलेश्वर व हिंदी पत्रकारिता के दिग्गज डॉ धर्मवीर भारती ने मेरे जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लाया।यदि वे मेरी जिंदगी में नहीं आते तो शायद आज मैं यहाँ आपके सामने उस रूप में न बैठ पाता’।उन्होंने श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए।
इस अवसर पर कथाकार कमलेश बक्शी,ओमा शर्मा,गोपाल शर्मा,सुधीर शर्मा,विजय सिंह कौशिक,विद्योतमा शर्मा,कमलेश पाठक,सागर त्रिपाठी,नीलिमा पांडेय,कुसुम तिवारी,हरिहरनाथ त्रिपाठी, मार्कण्डेय केवट,दिलीप पाटिल,अनिल गलगली, केपी सक्सेना दूसरे,प्रदीप गुप्ता,यार मोहम्मद, प्रदीप चन्द्र,नवीन नयन,जगदीश पुरोहित,मुकेश गौतम,नीलकंठ पारटकर,विनोद खत्री,सत्यवती मौर्य, रोशनी किरण,फिरोज खान,अभिमन्यु शितोले,सुनील मेहरोत्रा, अनुराग त्रिपाठी,प्रदीप श्रीवास्तव,डॉ रश्मि पटेल आदि मौजूद थे।
कार्यक्रम का संचालन अरविंद राही।सरस्वती वंदना कुसुम तिवारी व आभार दिलीप सुधीर शर्मा ने व्यक्त किया।