नई दिल्ली । 2024 लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं और अभी से भाजपा को हराने के लिए विपक्षी पार्टियां एकजुट होने लगी हैं। भाजपा को मात देने के लिए धुरविरोधी भी हाथ मिलाने को राजी हैं। इसका नजारा नीतीश कुमार की पटना पार्टी में देखने को मिलने वाला है। दरअसल, विपक्षी एकता के सूत्रधार बनते दिख रहे जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने 23 जून को पटना में प्रमुख पार्टियों के आला नेताओं की बैठक रखी है। इस बैठक में राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं को न्योता दिया गया है। हालांकि, देखना यह होगा कि कौन इसमें शामिल होगा और कौन नहीं।
बता दें कि बैठक में विपक्षी पार्टियों का फोकस सीट बंटवारे और जीतने वाले उम्मीदवार को खड़े करने पर ही होने वाला है। जानकारी के अनुसार, विपक्ष 450 सीटों पर एक उम्मीदवार लड़ाने पर सहमति बनाने में जुटा है। हालांकि, अभी भी कई राज्य हैं, जहां पेंच फंस सकता है और विपक्षी एकता को झटका लग सकता है। आइए, जानें विपक्ष की आगे की रणनीति क्या है और किन राज्यों में कितनी सीटों पर पेंच फंस सकता हैं…
नीतीश की पटना पार्टी में कौन होंगे मेहमान
नीतीश कुमार की पटना में होने वाली पार्टी में कांग्रेस, आप और सीपीएम जैसी तीन राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा सपा, एनसीपी, टीएमसी, आरजेडी, शिवसेना (यूबीटी), आरएलडी, जेएमएम, नेशनल कॉन्फ्रेंस, सीपीआई, डीएमके, मुस्लिम लीग और एमडीएमके जैसी राज्य स्तरीय पार्टी को भी आमंत्रण भेजा गया है। बैठक में राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, मल्लिकार्जुन खरगे, लालू प्रसाद, एमके स्टालिन, शरद पवार, अखिलेश, सीताराम येचुरी, डी राजा, हेमंत सोरेन और जयंत जौधरी शामिल हो सकते हैं। अगर विपक्षी गठबंधन को लेकर बात बनती है तो उसके चेयरमैन का नाम भी उसी दिन तय हो सकता है।
इस फॉर्मूले पर बन सकती है सहमति
कांग्रेस महाराष्ट्र (48 सीट), यूपी (80 सीट) और बिहार (40 सीट) में अपने पुराने गठबंधन को दोहरा सकती है। वहीं, बंगाल (42), तमिलनाडु (39) और हरियाणा की 10 सीटों पर भी सहमति बनाने में विपक्ष जुटा है। इसके लिए विपक्ष 2014 और 2019 के वोट शेयर को देखते हुए सीट बंटवारे का फॉर्मूला बना सकता है। विपक्षी गठबंधन एक कमेटी बनाकर इस बार पार्टी से ज्यादा जीताऊ उम्मीदवार को तरजीह दे सकता है। विपक्षी एकता के केंद्र में कांग्रेस होने के कारण ज्यादातर सीटों पर पेंच भी उसी के चलते फंसा है। कांग्रेस कई राज्यों में छोटी पार्टियों को सीट देने को राजी नहीं है। इसे देखते हुए मुख्यत: सात राज्यों में पेंच फंसता दिख रहा है।
7 राज्यों की 157 सीटों पर सिर्फ कांग्रेस का लडऩा तय
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना और ओडिशा में कांग्रेस का अकेले चुनाव लडऩा तय है। हालांकि, इन राज्यों की 157 सीटों पर 2019 के चुनाव में कांग्रेस को केवल 10 सीटें मिली थी, लेकिन इसके बावजूद विपक्ष यहां वाकऑवर दे सकता है। दरअसल, इन राज्यों में कांग्रेस का मुकाबला केवल भाजपा से है।