ग्वालियर । देश की जानी मानी युवा असमिया ,हिंदी ,अंग्रेजी और बांग्ला भाषाओं में कविता लिखने वाली सुश्री कविता कर्मकार की कविताओं पर चर्चा का आयोजन ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान द्वारा किया गया। यह नगर निगम के सहयोग से गूंज द्वारा इंद्रधनुष नाम से चल रही आयोजन की श्रृंखला के तहत साहित्य के रंग के नाम से किया गया। आयोजन में सुश्री कर्मकार बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थी जबकि अध्यक्षता प्रख्यात कथाकार और वरिष्ठ पत्रकार हरीश पाठक मुम्बई ने की । संमारोह में वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली, जाने – माने शायर अतुल अजनवी , गूंज की डायरेक्टर सुश्री कृति सिंह, वाटर वुमन के नाम से मशहूर श्रीमती सावित्री देवी और नगर निगम के सहायक आयुक्त शिशिर श्रीवास्तव मौजूद थे।
कार्यक्रम में अतिथियों के स्वागत के बाद ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली ने विषय प्रवर्तन किया। उन्होंने कहाकि युवा कवियत्री कविता कर्मकार ने इतनी कम उम्र में जो राष्ट्रीय , अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की है वह इसलिए है कि उनकी कविता समस्याओं और चुनौतियों का सिर्फ अरण्य रोदन नही बल्कि उनमे कशिश के साथ दिल की गहराइयों में उतरने की सामर्थ्य है। ये उनकी कविता की ही ताकत है कि उत्तर भारत मे भी लोग उनसे असमिया कविता भी सुनाने का आग्रह करते हैं।
मुख्यवक्ता और अध्यक्षयीय उद्बोधन में हरीश पाठक ने कहा कि कविता की कविताओं का नजरिया ही अलग है । उनकी छोटी कविता बड़ा वितान बनाती है क्योंकि उनका प्यार हो या संघर्ष सिर्फ व्यथा और वर्तमान तक नही सिमटता बल्कि उसमे निराशा का प्रतिरोध भी होता है और अंधेरे से निपटने के लिए मार्गदर्शन भी । उनकी प्रेम की कविता भी दर्द बयां करती है और दर्द की कविता भी प्रेम का पथ प्रदर्शन। वह उपेक्षा और कठिनाइयों के बीच पैदा हुई लेकिन वे युद्ध से लेकर सत्ता तक की नीति और नियति पूरी शालीनता से ऐसे शब्दों में उकेरतीं है कि उनकी कविता दिल उतर जाती है।
जाने -माने शायर अतुल अजनवी ने कहा कि कविता की मुक्त छंद कविताएं इतनी सरस किंतु गम्भीर है कि वे छंद की तरह ही दिल मे समाती हैं । उन्होंने कहाकि कविता अपनी कविताओं के जरिये समंदर के खारे पानी को शक्कर की बोरियों से नहीं बल्कि शहद की एक बूंद से मीठा करना चाहतीं है। अजनवी ने कहाकि समाज की जो विसंगतियों के अंधेरे हैं उन्हें किसी आफताब या सूरज से नही बल्कि टिमटिमाते जुगनू से दूर करना चाहती।
कार्यक्रम में कविता कर्मकार ने अपनी हिंदी असमी कविताओं का पाठ भी किया और श्रोताओं के आग्रह पर असम के प्रख्यात कवि ,गायक और भारत रत्न भूपेन हजारिका का गाया एक लोकप्रिय गीत भी गाकर सुनाया तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस मौके पर सुश्री कर्मकार और पाठक का शॉल श्रीफल देकर सम्मानित भी किया गया। लोगों के आग्रह पर शायर अतुल अजनवीं ने भी अपनी शायरी सुनाई और लोगो खासकर आयोजन में मौजूद युवक और युवतियों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कृति सिंह ने स्वागत भाषण दिया और नगर निगम के सहायक आयुक्त शिशिर श्रीवास्तव ने इन्द्रधनुष के तरह अब तक हुए आयोजनों की जानकारी दी और सभी से अपील की कि वे पानी बचाओ अभियान में लोगो को जागरूक करने में मदद करें । वाटर वूमेन श्रीमती सावित्री देवी ने सभी को कहाकि पानी औषधि भी है और अगर इसे नही बचाया तो कालांतर में नस्लों को भी नही बचाया जा सकेगा। इसलिए जल संरक्षण में सबको भागीदार बनना होगा। कार्यक्रम में प्रख्यात कथाकार महेश कटारे ,साहित्यकार, माता प्रसाद शुक्ला, निखिल गन्धे, रवि उपाध्याय ,विजय जैन, रंगकर्मी श्रीमती वसुंधरा व्यास, रवि उपाध्याय, पंकज श्रीमाली , खुशी वैसान्दर सहित साहित्य,कला,रंगमंच, पत्रकारिता से जुड़े लोग और बड़ी संख्या में युवक युवतियां उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अछेन्द्र सिंह कुशवाह ने तो अतिथियों का स्वागत और आभार प्रदर्शन हरीश पाल ने किया।