ग्वालियर । नब्बे के दशक में बंद होकर वीरान और खंडहर हो चुकी अंचल की सबसे बड़े जियाजीराव कॉटन मिल (JC Mill ) के 8 हजार श्रमिक परिवार अपने बकाया पैसों के भुगतान के लिए लगभग 34 सालों से निरन्तर कानूनी लड़ाई लड़ रहे है लेकिन अब अब तक उन्हें सफलता नही मिलीं है। इस दौरान अनेक श्रमिको की तो मौत भी हो चुकी है। लेकिन अब श्रमिको और उनके परिजनों को उम्मीद की एक नई किरण दिखी है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इसके श्रमिकों के लिए भी इंदौर की हुकुम चंद मिल की तरह ही निपटारे का रास्ता बनाने में लगे है ताकि श्रमिको को बकाया पैसो का भुगतान हो सकें । मुख्यमंत्री आज अचानक ग्वालियर आकर सीधे जेसी मिल पर पहुंचे। उन्होंने वहां वीरान पड़े मिल और उसकी जमीन का निरीक्षण किया और श्रमिक परिवारों से भेंट कर उन्हें भरोसा दिया कि उनके हित मे जल्द ही बड़ा निर्णय होगा।वे मुकदमा नही समाधान चाहते हैं।
मुख्यमंत्री आज विजयपुर उप चुनाव में प्रचार कर लौटे थे। उन्हें अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार एयरपोर्ट से झारखंड चुनाव प्रचार के लिए रवाना होना था परन्तु उन्होंने अधिकारियों से कहाकि वे जेसी मिल जाना चाहते है। इसके बाद कलेक्टर रुचिका चौहान और एसपी धर्मवीर सिंह ने आनन - फानन में जेसी मिल पर सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाये की ।मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सर्किट हाउस से सीधे बिरलानगर स्थित जेसी मिल पहुंचे उनके साथ क्षेत्रीय विधायक और उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी थे।
श्रमिक परिवार के लोगो से भी की बात
उन्होंने बन्द पड़ी मिल के खंडहर देखे और उससे जुड़े विशाल भू भाग को भी देखा। उन्होंने मौके पर ही कलेक्टर और उद्योग विभाग के अफसरों के साथ खड़े खड़े सर्वे रिपोर्ट देखी और जानकारी लेकर विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने यहां श्रमिक नेताओं , श्रमिक और दिवंगत हो चुके श्रमिको के परिजनों से भी भेंट कर उनसे बातचीत की और भरोसा दिलाया कि उनके मामले का निपटारा भी इंदौर की हुकुम चंद मिल के श्रमिकों की तर्ज पर करने की दिशा में काम चल रहा है।
हुकुमचंद मिल की तर्ज पर करेंगे निपटारा
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहाकि वे मुकदमा नही समाधान चाहते है इसलिए इंदौर के हुकम चंद मिल की तर्ज पर जेसी मिल के 8 हजार श्रमिकों के हित में सरकार काम कर रही है। डॉ यादव ने कहाकि जमीन का सर्वे का काम हो गया है । कोर्ट में भी जल्द सुनवाई और निर्णय के प्रयास जारी है।
आईटी उद्योग करेंगे स्थापित
मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम ने जेसी मिल की देनदारी निबटाने के लिए बड़ा ऐलान किया। उन्होंने घोषणा की कि जल्द ही जेसी मिल के मजदूरों की बकाया देनदारी चुकाई जाएगी। इसके अलावा JC मिल की खाली जगह पर आईटी सेक्टर से जुड़ी कोई इकाई को स्थापित किया जाएगा । यह आईटी उद्योग JC मिल की 712 बीघा जमीन पर बनेगा।
यहां बता दें कि स्वतंत्रता पूर्व स्थापित जेसी मिल देश का सबसे बड़ा कॉटन कपड़ा मिल था जो बिड़ला का था। उसका कॉटन न केवल देश में प्रसिद्ध था बल्कि दुनिया भर में निर्यात भी होता था। आधुनिकीकरण के कारण छटनी को लेकर यहां बड़ा श्रमिक आंदोलन शुरू हो गया जिसके चलते कोर्ट ने नब्बे के दशक में जेसी मिल को अधिकारिक रूप से बंद घोषित किया था । जब मिल बन्द हुआ तब से मिल के 8037 कर्मचारी और श्रमिको की देनदारियों के भुगतान को लेकर कानूनी दांव पेंच चल रहे है। इस दौरान अनेक श्रमिक मर भी गए। अभी 6000 कर्मचारियों की 135 करोड़ की देनदारी है बकाया 500 से अधिक मजदूरों ने भुगतान के लिए कोर्ट में भी केस दायर किए हैं ।