ग्वालियर. गुना जिले के आरौन में विगत कुछ दिन पहले हुई एक भीषण बस दुर्घटना में तेरह लोगों की मौत हो गई थी और एक दर्जन से ज्यादा घायल यात्री अभी भी अस्पताल में भर्ती है जहां उनका जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष जारी है. इस घटना के बाद अनेक अफसर हटाये गए और पूरे प्रदेश में बसों के खिलाफ अभियान चल रहा है लेकिन इस कार्यवाही की हकीकत क्या है यह शनिवार को सबके सामने आ गयी जब बच्चों से ठसाठस भरी एक ओवरलोड बस उसी आरौन से चलकर ग्वालियर तक पहुंच गई लेकिन उसे न किसी ने रोका और न किसी ने टोका। लोगों की शिकायत पर ग्वालियर में इसे पुलिस ने रोका. इस बस में 57 यात्री सवार थे जिनमें 40 छात्र थे । खास बात ये कि पकड़ने के बाद प्रशासन ने इन बच्चो की कोई सुध नही ली और वे देर रात तक भूखे – प्यासे सिकुड़ते रहे. मीडिया के लगो ने जब देर रात इनकी पीड़ा अफसरों को बताई तब कलेक्टर ने खुद मौके पर पहुंचकर देर रात इन्हें होस्टल भिजवाने की व्यवस्था करवाई.
आरौन से वैष्णोदेवी जा रही थी बस
गुना जिले के आरौन से वैष्णोदेवी जा रही स्लीपर बस को शनिवार की शाम ग्वालियर – मुरैना रोड पर लोगों द्वारा दी गई सूचना के बाद पुरानी छावनी पुलिस द्वारा रोका गया था. इसे वहां चैकिंग कर रहे ट्रेफिक के सब इंस्पेक्टर राधाबल्लभ गुर्जर ने बस को रोका तो वह ओवरलोडेड मिली थी . पुलिस ने इसको रोक लिया और इस बात की जानकारी तत्काल अधिकारियों को दी. उस समय कलेक्टर और एसपी सहित सभी आला अफसर एक मीटिंग में थे. एसपी राजेश सिंह चन्देल ने तत्काल एडिशनल एसपी ऋषिकेश मीणा को मौके पर भेजा । गिनती हुई तो बस में 40 छात्रों सहित 57 यात्री सवार मिले थे । बताया गया कि यह बस गुना जिले के आरौन से निकली थी . बस में भीड़ इतनी ज्यादा थी कि सिंगल स्लीपर पर तीन तीन छात्रों को बिठाया गया था जबकि डबल स्लीपर पर चार चार छात्र सवार थे. स्कूल संचालक का कहना था कि उन्होंने स्लीपर बस इसलिए बुक की थी कि बच्चे लेटकर जा सकें । स्कूल संचालक का बस में लोगों की ज्यादा संख्या को लेकर तर्क था कि सारे बच्चे एक साथ रह सकें इसलिए एक ही बस में लेकर जा रहे हैं. बस का टूर एक सप्ताह का था । स्कूल संचालक का कहना था उसने राइन ट्रेवल्स से इस बस की1 लाख 80 हजार रुपये में बुकिंग की है.
देर रात तक ठंड और भूख से तड़फते रहे बच्चे
बस को पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद तो इस बस में सवार बच्चों पर मानो संकट का पहाड़ टूट पड़ा . उनकी मुसीबतें कम होने की जगह और भी ज्यादा बढ़ गईं .ट्रेफिक पुलिस इस बस को पकड़कर मेला मैदान में खड़ी करके चली गयी। पुलिस बस को वापिस आरौन ले जाने पर अड़ी थी जबकि स्कूल संचालक उसे वैष्णोदेवी ले जाने की जिद कर रहा था. इस मामले पर अफसर और संचालक में फोन पर बातचीत चलती रही और रात के 11 बज गए। इस बीच न संचालक ने बच्चों की सुधि ली न ही प्रशांसन ने. ग्वालियर में खुले आकाश के नीकगे खड़ी बस में बैठे बच्चे भूख और ठंड से बिलखते रहे. आसपास कोई दुकान , होटल या ढाबा भी नही था. कुछ बच्चे खाने की तलाश में मेला भी गए लेकिन तब तक मेला भी बन्द हो चुका था.
मीडिया ने बताया तब कलेक्टर को पता चला
इस बीच जब मीडिया से जुड़े कुछ लोग इस घटना का कवरेज करने के लिए मेला मैदान में खड़ी बस पर गए तो तड़फते हुए मासूमियत से भूखे बच्चे उनसे ही खाना मांगने लगे. दो बच्चे राशु दुवे और आरवेज़ खान ने मीडिया कर्मियों से बोलाकि अंकल हम लोग शाम से बैठें हैं लेकिन अब तक खाना नही मिला है। भूख से हम सबका बेहाल है. मीडिया वालों ने मोबाईल पर यह जानकारी कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह को दी । सूचना मिलते ही रात सवा ग्यारह बजे कलेक्टर सीधे बस पर पहुंचे.