नई दिल्ली । दिल्ली वासियों को बाढ़ के बाद स्वास्थ्या का खतरा सताने लगा है। विशेषज्ञों ने इसके लिए चेतावनी भी जारी कर दी है, ताकि अमला स्वास्थ्य संबंधी दवाईयां तैयार रखे। गौरतलब है कि उत्तर भारत के कई हिस्सों में पिछले अनेक दिनों से लगातार भारी बारिश हो रही है। हालांक इस के बाद हुछ हद तक हालात सुधरे हैं। गुरुवार को यमुना नदी में जल स्तर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर- 208 मीटर से अधिक पर पहुंच गया था। अब जबकि जल स्तर धीरे-धीरे कम होना शुरू हो गया है, इसके बावजूद शहर के कई इलाके जैसे कश्मीरी गेट, आईटीओ और राजघाट अभी भी जल-जमाव से जूझ रहे हैं। ऐसे हालात में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा संकट पैदा होने वाला है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ के समय और पानी का स्तर नीचे जाने पर भी स्वास्थ्य संबंधी बड़ी समस्याएं हो सकती हैं। बाढ़ से जुड़ी कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं हेल्थ एक्सपर्ट्स को हैं। इनमें सबसे ज्यादा खतरा गंदे पानी से पनपने वाली बीमारियों को लेकर है। गौरतलब है कि यमुना नदी के बाढ़ का पानी सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट और अन्य हानिकारक पदार्थों सहित विभिन्न प्रदूषकों से दूषित हो सकता है।
इस प्रदूषण से हैजा, टाइफाइड, हेपेटाइटिस ए, गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसी गंदे पानी से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। दूषित बाढ़ के पानी को पीने या उसके संपर्क में आने से ये संक्रमण हो सकते हैं। जबकि बाढ़ से पानी जमा हो जाता है, जो मच्छरों का प्रजनन स्थल बन जाता है। बाढ़ के दौरान और उसके बाद मच्छरों की आबादी बढ़ने से डेंगू बुखार, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं। दूषित बाढ़ के पानी के सीधे संपर्क से त्वचा संबंधी समस्याएं और संक्रमण हो सकते हैं। वहीं खुले घाव या कटे हुए घाव विशेष रूप से संक्रमण के प्रति संवेदनशील होते हैं।
लंबे समय तक गंदे पानी और अस्वच्छ स्थितियों के कारण त्वचा पर चकत्ते, जलन और फंगल संक्रमण उत्पन्न हो सकते हैं। बाढ़ से तबाह हुए लोगों और समुदायों के लिए दर्दनाक अनुभव हो सकता है। विस्थापन, संपत्ति के नुकसान और रोजमर्रा के कामों में बाधा तनाव और चिंता का कारण बन सकता है। इस लंबे समय के मनोवैज्ञानिक प्रभाव में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी), अवसाद और अन्य मानसिक रोग शामिल हो सकते हैं। वहीं रुका हुआ पानी दुर्गंध पैदा कर सकता है और हानिकारक बैक्टीरिया और फफूंद के विकास को बढ़ावा दे सकता है।