मुंबई । अदानी समूह से ऑडिटर बीच में ही काम छोड़कर भाग रहे हैं। यह सिलसिला पिछले 3 साल से चल रहा है। इतनी बड़ी कंपनी में काम करने के लिए ऑडिटर लालाईत रहते हैं। लेकिन जब वह ऑडिट शुरू करते हैं,और कंपनी के अधिकारी उन्हें सहयोग नहीं करते हैं। कंपनी द्वारा मनमाने तरीके से काम किए जाने के कारण,ऑडिटर बीच में ही काम छोड़कर चले जाते हैं। वर्ष 2021-22 में 46 ऑडिटरों ने,वर्ष 2021 में 65 ऑडिटरों और 2022-23 में 38 ऑडिटर बीच में ही काम छोड़कर कंपनी को टाटा बाय बाय करके चले गए।
हिंडनबर्ग द्वारा अदानी समूह के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं। उनकी जांच सेबी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कर रही है। हिंडनवर्ग की रिपोर्ट के आधार पर विदेशों में भी जांच शुरू हो गई है। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का समय और मांगा है। सुप्रीम कोर्ट से समय मिलने के बाद 28 अगस्त को पुन सुनवाई इस मामले में शुरू हो सकती है।
सबसे ज्यादा गड़बड़ी की सूचना अदानी पोर्ट से मिल रही हैं। इस कंपनी से ही सबसे ज्यादा ऑडिटर बीच में काम छोड़कर गए हैं। कंपनी के अधिकारियों के साथ ऑडिटर के संबंध कभी भी अच्छे नहीं रहे। जिसके कारण ऑडिटर अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए कंपनी का काम छोड़ने में ही भलाई समझते हैं।
सेबी की रिपोर्ट
सेबी की जो प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की गई है। उसमें 24 प्रकरणों में जांच की जानी थी। 17 प्रकरणों की जांच सेबी ने कर ली है। 7 प्रकरणों में जांच जारी है। जिसके लिए सेबी ने 15 दिन का समय मांगा है।
जिन 17 मामलों में जांच हुई है। उसमें हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में जो आरोप लगाए गए थे। वह आरोप प्रथम दृष्टया सही माने जा रहे हैं। जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है, कि कंपनी ने कुछ मामलों में जांच कराने से ही इनकार कर दिया है।
मीडिया में जो खबरें प्रचारित हो रही हैं। उसके अनुसार सेबी उन ऑडिटर को भी तलब कर सकता है, जो बीच में काम छोड़कर चले गए हैं। काम छोड़कर जाने वाले ऑडिटर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं। सांसद महुआ मोइत्रा भी इस मामले मे लगातार निगाह रख रही हैं। जिसके कारण यह मामला ठंडा नहीं हो पा रहा है। जांच अधिकारियों को सारे तथ्य उपलब्ध कराये जा रहे हैं। हिंडनवर्ग की रिपोर्ट को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सेबी जांच कर रही है। अतः यह मामला आने वाले दिनों में तूल पकड़ सकता है।