नई दिल्ली । लोकसभा (Loksabha) में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले ही भाजपा को दो दलों के 34 सांसदों का समर्थन और मिल गया है। हालांकि लोकसभा में बीजेपी (BJP) के पास पूरा बहुमत है, लेकिन फिर भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। गौरतलब है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तारीख तय कर दी गई है, जिस पर 8 अगस्त को बहस शुरू होगी और 10 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का जवाब आने की उम्मीद है। जानकारी के मुताबिक मणिपुर (Manipur) मुद्दे पर विपक्ष के दबाव और प्रधानमंत्री द्वारा संसद में इस पर बोलने की उसकी मांग को मानने से इनकार करने के बाद अब ध्यान उन तर्कों की जड़ पर केंद्रित हो गया है जो दोनों पक्ष अपना मामला बनाने के लिए पेश करेंगे। रिपोर्ट में भाजपा सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पार्टी डेटा तैयार कर रही है जो पूर्वोत्तर में हिंसा और आगजनी के लंबे इतिहास को उजागर करेगा, जिसके अधिकांश हिस्से पर कांग्रेस का नियंत्रण था। वहीं विपक्ष इसे कई प्रमुख राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, मोदी सरकार के डबल-इंजन सरकार के दावे पर चोट करने का शायद आखिरी मौका मानता है।
गौरतलब है कि पहले से ही भाजपा के पक्ष में भारी बहुमत था, मंगलवार को उसे तब और मजबूती मिली जब बीजद ने घोषणा की कि वह अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार का समर्थन करेगी। इससे पहले, वाईएसआरसीपी, जो बीजेडी की तरह एनडीए या इंडिया ब्लॉक के साथ गठबंधन में नहीं है, ने घोषणा की थी कि वह प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करेगी। जबकि प्रस्ताव को जीतने या हराने के लिए बहुमत का निशान 272 है, वहीं एनडीए सरकार के पास 331 सांसद हैं, जिनमें उसके अपने 303 सांसद हैं। इसमें वायएसआरसीपी के 22 और बीजेडी के 12 सांसद और जुड़ेंगे। इसलिए यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि बहस में कौन अधिक राजनीतिक अंक प्राप्त करता है, जो कि सदन के अशांत सत्र के मद्देनजर आ रहा है, जिसके तूफानी होने की उम्मीद है।
हालांकि मंगलवार को भी, इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस को प्राथमिकता पर लेने की मांग करते हुए बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक से वॉकआउट कर दिया। जिन दलों ने कहा है कि वे प्रस्ताव पर सरकार के खिलाफ मतदान करेंगे उनमें इंडिया ब्लॉक की 26 पार्टियों के अलावा केसीआर की भारत राष्ट्र समिति शामिल है। उन्होंने मंगलवार को मांग की थी कि जब तक अविश्वास प्रस्ताव लंबित है तब तक सरकार अपने विधायी एजेंडे को आगे नहीं बढ़ाएगी। लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मनिकम टैगोर ने कहा कि हम चाहते थे कि अविश्वास प्रस्ताव पर कल ही चर्चा हो। सरकार ने कहा है कि इस संबंध में कोई नियम या मिसाल नहीं है, और प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद अध्यक्ष के पास बहस निर्धारित करने के लिए 10 दिन का समय होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गत 20 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से संसद के दोनों सदन लगातार ठप रहे हैं।