तारीख – 6 जुलाई 2023
स्थान – सिंधिया परिवार का शाही प्रासाद ,जय विलास पैलेस।
समय – दोपहर सवा तीन बजे।
इस भव्य प्रासाद के स्वामी और केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शहर में है लेकिन जय विलास में शांति है । रानी महल की तरफ वाला गेट भी बन्द है । तभी एक आम आदमी वहां पहुंचता है। दूर अपना स्कूटर खड़ा करता है । थोड़ा अचकचाता है। उसे सिंधिया जी ने मिलने के लिए बुलाया था लेकिन यहां तो .. तभी गार्ड आता है । गेट खोलता है …कहता है ..आप पत्रकार साहब है…देव श्रीमाली सर…मैं मुस्कराता हूँ । वह एस्कोर्टिंग की मुद्रा में मेरे आगे चलकर जयविलास की तरफ आगे बढ़ता है।
- खुले आकाश के नीचे पहुंचते ही एक अन्य शख्स दौड़ते हुए आगवानी करते हुए जनसंपर्क कक्ष की तरफ़ ले जाते हैं । वे अपने कक्ष में ले जाकर बिठाते है।
- अचानक एक महिला आती है। वे अभिवादन क़रतीं है और बताती है कि वे यानी सिंधिया जी पांच मिनिट में आने ही वाले है। वे जल पान भी कराती है । मैं समझ जाता हूँ ये वही है जिनसे मेरा इस भेंट के बावत मोबाइल पर चर्चा चल रही है। नाम है श्रेया। लंबे समय से सिंधिया जी जनसंपर्क सलाहकार है जो विशिष्ट लोगो से उनकी भेंट मुलाकातों का आधार तैयार करती है। यहां उनसे उनके जींवन, एजुकेशन और अध्ययन को लेकर जो लंबी गुफ्तगू हुईँ उंसके अनुसार वे पत्रकारिता पढ़ी लिखी विदुषी महिला है। हिंदी और अंग्रेजी पर उनकी अच्छी पकड़ है। पहले कुछ मीडिया संस्थानों के रिसर्च और कंटेंट विभागों से जुड़ी रही । वे शास्त्रीय संगीतज्ञ है लेकिन बाद में उन्होंने अपना कैरियर जन सम्पर्क में बनाना तय किया और सिंधिया जी के साथ बतौर कैरियर अपना काम शुरू किया।
- आज मेरी और सिंधिया से होने वाली मुलाकात अनेक मामलों में खास थी । पहला यह सीखने का मौका मिला कि अगर आपने किसी को मिलने के लिए बुलाया है तो उस पर किस तरह पूरा अटेंशन होना चाहिए । फिर वह भले ही आम आदमी ही क्यों न हो ,जैसे कि मै था।
- थोड़ी देर में हम लोग आमने सामने है । कक्ष में सिर्फ एक टेबल और दो कुर्सियां है । मेरे पहुंचने पर सिंधिया जी गर्मजोशी से खड़े होकर आगवानी करते है – आइए देव जी। कैसे है आप ? घर मे सब कैसे हैं ? …जैसी हल्की फुल्की बातों से बातचीत का सिलसिला शुरू होता है और फिर इतना निजी हो जाता है कि अहसास ही नही होता कि कब 30-40 मिनट बीत गए । न कोई आया ..न किसी ने टोका .. मोबाइल की कोई घण्टी नही बजी।
- हम लोगों की इस तरह से ये पहली ही मुलाकात थी । कोरोना काल बीतते ही एक बार उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे के आमन्त्रण पर जरूर जयविलास गया था लेकिन वह भेंट । म्यूजियम ओपनिंग के संदर्भ में थी । लेकिन पहली ही मुलाकात इतनी अनौपचारिक होगी वह भी स्वयं सिंधिया जी के आमन्त्रण पर ..? लेकिन हो रही थी।
- चालीस मिनट में सबसे कम समय तक राजनीति पर चर्चा हुई। व्यक्तियों पर चर्चा में हमने शून्य समय दिया।
- सिंधिया जी ने मेरे बारे में काफी जानकारी ले रखी थी । हम लोगो ने अपने स्टूडेंट जींवन की यात्रा के किस्से शेयर किये और उन्होंने अपने । उन्होंने बड़े मार्मिक अंदाज़ में कहा कि – कोई भले ही मेरी विरासत से मेरी स्टैंडिंग का आकलन करे लेकिन सच ये है कि मुझे जीवन में बगैर कड़ी मेहनत के कभी कुछ हासिल हुआ ही नही। उन्होंने अमरीका के स्टैनफोर्ड में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई के दौरान के अपने चार खास मित्रों से जुड़े किस्से बताए और यह भी कि मैं रात भर पढ़ने के बाद एग्जाम देने जाता तब जितने नम्बर आते जबकि चार मित्रों में से एक पशुपति कैसे कुछ घण्टे पढ़कर रात भर सोता फिर भी उंसके अच्छे नम्बर आते । उन्होंने अपने दिवंगत पिता से जुड़े संस्मरण सुने और सुनाए ।
- उन्होंने ग्वालियर से जुड़ी अपनी कल्पना और एयरपोर्ट विस्तार को लेकर रूपरेखा बनाने से लेकर उसे अक्टूबर तक शुरू करने तक के संकल्प की बात की और यह भी कि वे स्वर्णरेखा के काम को भी कराके रहेंगे। बातें बहुत ही हुई लेकिन मुलाकात अनौपचारिक और इतनी निजी हो गई थी कि उनका जिक्र यहां करना न उचित है,न संभव । इस मौके पर मैंने कोरोना काल में दिवंगत पत्रकारों पर लिखी अपनी पुस्तक – #बिछड़ेकईबारी_बारी भेंट की तो उन्होंने बताया कि इसकी चर्चा सब जगह है। आपने अच्छा दस्तावेजीकरण किया है।
- यह ज्योतिरादित्य सिंधिया का अलग और नया रूप था। हालांकि यह जयविलास के लिए नया नही है । उनके दिवंगत पिता स्व माधव राव सिंधिया इस तरह के प्रयोग और प्रयास निरंतर करते थे। संभाग भर के उदीयमान खिलाड़ी,कलाकार,विद्यार्थी,छात्र नेताओं और पहलवान आदि को वे सूचना भेजकर बुलवाते थे। इनमे से अनेक को वे राजनीति में भी लेकर आये और विधायक और मंत्री तक बने ।
ये मुलाकात एक बहाना थी । ये बताने का कि कैसे पहली ही मुलाकात में सहजता के साथ आप अंतरंग हो सकते है । हरेक शख्स के भीतर एक मजेदार इंसान होता है जिसे आम बातें करने ..कहने और सुनने की दरकार होती है। यह मुलाकात इनमे से एक थी ..यादगार भी।