श्योपुर।कूनो के जंगल घूम रहे चार चीतों में से एक मादा चीता निर्भया जंगल की सीमा से बाहर पहुंच गई है। बताया जाता है कि उसकी कॉलर आईडी में खराबी की वज़ह से काफी समय से कूनो प्रबंधन उसे ट्रैक भी नहीं कर पा रहा है। कूनो के बाहर जाने की ख़बर भी उसे ग्रामीणों के जरिए मिली है।
पार्क प्रबंधन पगमार्क और ड्रोन कैमरे का सहारा लेकर उसकी तलाश कर रहा है। इसके अलावा कॉलर आईडी ठीक करने के लिए तकनीकी टीम से भी सहयोग मांगा है। इन दिनों विशेषज्ञ चारों चीतों को किसी तरह ट्रेंकुलाइज कर वापस बाड़े में लाने की कवायद में जुटे हैं। बाड़े में 11 चीतों को बंद किया जा चुका है, जिनके स्वस्थ होने का दावा भी कूनो पर प्रबंधन ने किया है। चीतों के स्वास्थ्य परीक्षण और तेजस की पीएम रिपोर्ट में नहीं मिले कॉलर आईडी से गंभीर घाव। बताया जाता है कि अब तक 11 चीतों के स्वास्थ्य परीक्षण और तेजस की पीएम रिपोर्ट में कॉलर आईडी से किसी भी प्रकार के गंभीर संक्रमण के संकेत नहीं मिले हैं। साढ़े पांच साल की उम्र में तेजस का वज़न 43 किलो था जो औसत 55-60 किलो से काफी कम था। उसकी गर्दन के पीछे बाहरी घाव सतही थे, जिसमें सिर्फ स्कीन पर खरोच था। इसमें छेद वाला कोई घाव नहीं था। उसकी किडनी में परेशानी, प्लीहा में गांठ थी।
चीतों पर नजर रखने के लिए गले में रेडियो कालर आइडी जरूरी
कूनो नेशनल पार्क में गर्दन के संक्रमण से हुई चीतों की मौतों के बाद अब कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल से सभी चीतों को वापस बाड़े में किया जा रहा है। चीतों को ट्रेंक्युलाइज कर वापस बड़े बाड़े में शिफ्ट किया गया।अब तक 6 चीतों के गले से कालर आइडी हटाकर उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है, अब चीते पूरी तरह स्वस्थ्य हैं। भी चार चीते और खुले जंगल में घूम रहे हैं, जिन्हें भी बड़े बाड़े में शिफ्ट किया जाएगा।बताया जाता है कि बाड़े में लाए गए गौरव, शौर्य, पवन, पावक, आशा और धीरा चीता के रेडियो कालर हटाये गए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन असीम श्रीवास्तव ने कहा कि बिना रेडियो कालर चीतों की निगरानी के लिए बहुत जरूरी है। कालर के बिना इन चीतों की गतिविधियों पर नजर नहीं रखी जा सकती है। इसलिए चीतों को दोबारा रेडियो कालर जरूर लगाया जाएगा। विशेषज्ञ यदि सलाह देंगे कि तो कालर में कोई संशोधन कराया जा सकता है।