जयपुर । अनियंत्रित खनन और शहरीकरण के कारण पिछले 20 वर्षों में कई अरावली पहाड़ियां गायब हो गई हैं, इससे दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक की वनस्पतियों और जीवों को खतरा पैदा हो गया है। यही नहीं थार रेगिस्तान से आने वाले रेत के तूफानों के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और पश्चिमी यूपी पहुंचने का रास्ता भी साफ हो गया है। इससे जानवरों की भी मुसीबतें बढ़ा दी हैं। अरावली श्रृंखला पर चल रहे एक अध्ययन में भी इस ओर चेतावनी दी गई है।
यह चौंकाने वाला सच सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान के एक शोध में सामने आया है। इस शोध में ऊपरी अरावली रेंज में 31 से अधिक पहाड़ियों की पहचान की गई है, जो पिछले दो दशकों में गायब हो गई हैं। साथ ही छोटी और निचली श्रेणी की भी ऐसी सैकड़ों पहाड़ियां हैं जो गायब हो चुकी हैं।
यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रमुख एलके शर्मा ने बताया कि समुद्र तल से 200 मीटर से 600 मीटर की ऊंचाई वाली नारायणा, कालवाड़, कोटपूतली, झालाना और सरिस्का की कई पहाड़ियों का एक के बाद एक गायब होना दर्ज किया गया है। छोटी और मध्य स्तर की वो पहाड़ियां जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से 50 से 200 मीटर के बीच में है, वो भी अब गायब होने की कगार पर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अभी मैं केवल शुरुआती नतीजे साझा कर रहा हूं, जो बहुत ही खतरनाक हैं।