नई दिल्ली । भारत और ब्रिटेन प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत जटिल मुद्दों को निपटाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत सरकार संभलकर कदम आगे बढ़ा रही है। वह ब्रिटिश कंपनियों को अपने यात्री वाहन बाजार में आने देने के लिए तैयार है मगर समझौता होने के बाद एक सीमित संख्या में वाहन इस बाजार में बेचने की ही अनुमति होगी। भारत ने शुल्क दर कोटा (टीआरक्यू) के हिसाब से भारतीय बाजार में प्रवेश की इजाजत का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत रियायती आयात शुल्क पर 1 लाख यात्री वाहनों का आयात करने की अनुमति होगी। मामले की जानकारी रखने वाले दो व्यक्तियों ने बताया कि इन वाहनों के लिए आयात शुल्क (टीआरक्यू के तहत) पांच साल में चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा। हालांकि ये लोग सीधे तौर पर बातचीत में शामिल नहीं थे। वित्त वर्ष 2022-23 में देश में 38.9 लाख यात्री वाहन बिके थे। इस हिसाब से ब्रिटिश कंपनियों के वाहनों के लिए तय सीमा 1 फीसदी से भी कम रहेगी। इससे स्थानीय कार विनिर्माताओं की यह चिंता दूर हो सकती है कि यदि व्यापार समझौता लागू हुआ तो आयात में अचानक वृद्धि नहीं होगी। एक व्यक्ति ने कहा कि टीआरक्यू के अलावा बाकी आयात के लिए शुल्क धीरे-धीरे खत्म कर दिया जाएगा। मगर यह देखना बाकी है कि ब्रिटेन इस प्रस्ताव को कबूल करता है या नहीं क्योंकि वार्ता अभी पूरी नहीं हुई है। 10वें दौर की वार्ता 5 से 9 जून तक नई दिल्ली में होनी है। भारत को उन देशों में गिना जाता है, जहां वाहनों पर अधिक शुल्क लगाया जाता है। पूरी तरह तैयार (सीबीयू) आयातित वाहनों पर 70 से 100 फीसदी सीमा शुल्क लगता है।
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