नई दिल्ली । जन्माष्टमी इस बार भी दो दिन मनाई जा रही है। जहां 6 सितंबर बुधवार यानिकी आज भी भाद्रमास की कृष्णपक्ष की अष्टमी है, जबकि सरकारी कैलेंडर में कल जन्माष्टमी की छुट्टी रहेगी। बहरहाल जन्माष्टमी (Janmashtmi) पर इस बार द्वापर जैसे योग बन रहे हैं। जो योग श्रीकृष्ण जन्म के समय थे ठीक वैसे ही आज भी हैं। बुधवार, भाद्रमास की कृष्णपक्ष की अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इन्हीं मंगलकारी योग में श्रीकृष्ण के जन्मावतार का योग इस बार 6 सितंबर को हैं। पुरोहितों की मानें तो जन्माष्टमी का पर्व सदा से दो दिन का होता है। इसलिए 6 और 7 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व होगा। लेकिन इस बार सरकारी कलेंडर और पंचांग में मेल नहीं है। जन्माष्टमी की सरकारी छुट्टी 7 सितंबर की है जबकि जन्माष्टमी (Janmashtmi) का व्रत 6 सितंबर को है।
इस बार 6 सितंबर बुधवार को दोपहर 3.37 बजे से अष्टमी तिथि का प्रारंभ होगा। जो कि 7 सितंबर को शाम 4.14 बजे तक व्याप्त रहेगी। इसी प्रकार रोहिणी नक्षत्र जिसमें भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, 6 सितंबर की सुबह 9.19 बजे से 7 सितंबर को 10.24 बजे तक रहेगा। बुधवार का सुयोग भी 6 सितंबर को ही मिल रहा है। इसलिए अधिकांश ज्योतिषियों की राय में 6 सितंबर को ही जन्माष्टमी का पर्व करना यथेष्ट है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी स्मार्त के लिए 6 और वैष्णव के लिए 7 सितंबर को मनाने की बात कही जा रही है। पंडितों के अनुसार मध्यरात्रि में अष्टमी के संयोग से ही जन्माष्टमी होती है क्यों कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात के 12 बजे माना गया है।