झाबुआ । मध्यप्रदेश में भ्रस्टाचार के मामले में कोर्ट ने बड़ी सज़ा सुनाई है । संभवतः पहला मौका है जब एक घोटाले में तत्कालीन कलेक्टर और सीईओ सहित छह आरोपियों को चार चार साल जबकि एक आरोपी को 7 वर्ष की सज़ा सुनाई है । काँग्रेस ने कहा कि इसी 50 परसेंट भ्रष्टाचार वाली सरकार से मुक्ति दिलानी है। यह मामला प्रिंटिंग में हुए भ्रस्टाचार से जुड़ा था ।
आरोपी जेल भेजे गए
प्रिंटिंग को लेकर भ्रष्टाचार के एक मामले में तत्कालीन कलेक्टर जगदीश शर्मा, तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ जगमोहन धुर्वे समेत सात अधिकारी कर्मचारियों को विशेष न्यायाधीश ने आज दोषी करार देते हुए सजा का ऐलान किया। पूर्व कलेक्टर समेत 6 अधिकारी कर्मचारियों को 4 वर्ष व एक आरोपी को 7 वर्ष के श्रम कारावास की सजा सुनाई गई….साथ ही उन्हें अर्थ दंड से भी दंडित किया गया। सजा सुने जाने के बाद सभी आरोपियों को झाबुआ जिला जेल भेज दिया गया।
यह है पूरा मामला
सन 2010 में मेघनगर के रहने वाले राजेश सोलंकी ने विशेष न्यायालय झाबुआ में परिवाद दायर किया था। इसमें उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर जगदीश शर्मा व तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ जगमोहन धुर्वे पर पद का दुरुपयोग करते हुए निजी फर्म को अवैध तरीके से प्रिंटिंग कार्य मे बेजा आर्थिक फायदा पहुंचाए जाने का आरोप लगाया था। परिवादी का आरोप था कि दोषी अधिकारियों ने प्रिंटिंग का कार्य शासकीय प्रिंटिंग प्रेस से न करते हुए निजी व्यक्ति को उक्त कार्य का आदेश दिया। आदेश के बाद उक्त कार्य का कई गुना भुगतान किए जाने के आप भी लगे थे।
परिवादी का यह भी आरोप था की इससे शासन को 27 लाख रुपए से अधिक का नुकसान पहुंचा है । यह केस काफी सालों चला। करीब 13 साल लंबी चली इस कानूनी प्रक्रिया के बाद आज विशेष न्यायालय ने दर्ज प्रकरण में अपना फैसला सुनाया । कोर्ट ने भ्रष्टाचार की विभिन्न धाराओं समेत अन्य आईपीसी की धाराओं में अधिकारी कर्मचारियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
अरुण यादव ने किया ट्वीट
इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पुर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने इस केस का उल्लेख करते हुए लिखा इसी 50 फीसदी कमीशन वाली सरकार से मुक्ति दिलानी है।