ग्वालियर। देश के युवाओं को सेना में भर्ती होने से पहले अब अपनी जाति के साथ धर्म भी बताना होगा। और ये हम नहीं कह रहे ये कहना है भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी विंग द्वारा सेना भर्ती के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन का। जहाँ एक ओर भारत में सर्व धर्म समभाव की परम्परा रही है वहीं टेरिटोरियल आर्मी में मांगे जा रहे धर्म प्रमाण पत्र पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बिहार और सागर में टेरिटोरियल आर्मी की भर्ती में शामिल होने गए ग्वालियर चम्बल अंचल के युवाओं को उस वक्त निराशा हुई जब उन्हें धर्म प्रमाण पत्र न होने के चलते वापिस भेज दिया गया और कहा गया कि जाति प्रमाण पत्र के साथ धर्म प्रमाण पत्र भी लगाना होगा यदि धर्म प्रमाण पत्र नहीं है तो आपकी एंट्री नहीं होगी।
बेरोजगार युवा घूम रहे है परेशान
सालों से देश की सेवा का जज्बा लिए सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवा उस समय हताश हो गए जब टेरिटोरियल आर्मी की भर्ती में उनसे सेना ने धर्म प्रमाण पत्र मांग लिया। सेना द्वारा रिलीजन सर्टिफिकेट की मांग के बाद ग्वालियर जिला प्रशासन के अधिकारियों के पास पहुँचे युवाओं ने जब उनसे रिलीजन सर्टिफिकेट बनाने की मांग की तो अधिकारियों ने युवाओं को बैरंग लौटा दिया।
यहाँ अहम बात यह है कि जाति प्रमाण पत्र में धर्म का उल्लेख न होने के चलते सेना भर्ती में मांगे गए इस धर्म प्रमाण पत्र की प्रशासनिक अधिकारियों को भी जानकारी नहीं है। बहरहाल सेना भर्ती का सपना लिए कुछ युवाओं की ये आखिरी कोशिश है कि किसी तरह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करें लेकिन देश में पहली बार सेना भर्ती में मांगे गए धर्म प्रमाण पत्र की अनिवार्यता ने सभी युवाओं को निराश कर दिया है इसके बाद की युवा ओवर एज हो जाएँगे और इसका जवाब प्रशासनिक अधिकारियों के पास भी नहीं है यही वजह है कि प्रशासन का एक भी अधिकारी कैमरे के सामने नहीं आया। वहीं इस रिलीजन सर्टिफिकेट की प्रक्रिया को लेकर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं कुछ लोगों का कहना है कि सर्व धर्म समभाव वाले देश में इस तरह का धर्म प्रमाण पत्र मांगना दुर्भाग्यपूर्ण है।
सियासी घमासान मचा
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह X पर पोस्ट कर रक्षामंत्री से सवाल पूछा है जबकि ग्वालियर में पूर्व सांसद रामसेवक बाबू जी ने इसे गलत बताते हुए इस आदेश को तत्काल वापिस लाने की मांग को है।