सिध्दक्षेत्र सोनागिरि में स्थापित होगा यह अस्पताल , स्थापना की तैयारी बैठक होगी रविवार को
ग्वालियर। जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिर दिगंबर भट्टारक कोठी समिति के तत्वाधान में मेडिटेशन गुरु उपाध्याय श्री विहसंत सागर जी महाराज का 13 वाँ मुनि दीक्षा दिवस समारोह के उपलक्ष्य में नवीन विहसंत सागर अस्पताल का शिलान्यास 25 फरवरी 20 24 को जैन सिद्धक्षेत्र सोनागिर में कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है। इसी संबंध में आज 21 जनवरी रविवार को नया बाजार स्थित दिगंबर जैन संत निवास में एक विशेष जैन समाज के डॉक्टर की मीटिंग आयोजित की गई है।
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मेडिटेशन गुरु उपाध्याय श्री विहसंत सागर महाराज के सानिध्य एवं दिगंबर जैन भट्टारक कोठी समिति की ओर से 21 जनवरी रविवार को दोपहर 01: 30 बजे से नया बाजार स्थित दिगंबर जैन संत निवास में जैन डॉक्टरों की मीटिंग में आयोजित होने वाले 25 फरवरी 20 24 में उपाध्याय श्री का 13 वां मुनिदिक्षा और नवीन हॉस्पिटल शिलान्यास होगा। जिसमे हॉस्पिटल में मरीजों चैक अप और अन्य बीमारी की देखरेख जिम्मेदारी जैन डॉक्टरों की अलग-अलग व्यवस्था सौपी जायेगी। वही अन्य तैयारियों को लेकर भट्ठारक कोठी सोनागिर के समस्त पदाधिकारीगण सहयोग प्रदान कर रहे है।
अपने मन की शांति को प्रसन्न रखे उसमें प्रेम का पानी डालते रहिए-: उपाध्याय श्री विहसंत सागर
उपाध्याय श्री विहसंत सागर महाराज ने आज डीडी नगर रोड स्थित पेस्टीज कालेज में संबोधन करते हुए कहाकि मन की शांति जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। वह समृद्धि व्यर्थ है जिसमें शांति का अमृतपान न हो। मन की शांति का मूल्य क्या है यह किसी समृद्ध व्यक्ति से जाकर पूछो जो समृद्धि का तो सिकंदर है मगर मन की शांति का भिखारी है। दिन की शुरुआत में लगता है जिंदगी में पैसा जरूरी है पर रात सोते समय लगता है जिंदगी में मन की शांति जरूरी है। उपाध्याय श्री ने कहा कि अशांत मन सूखे तालाब की तरह है। जिस में से पानी तो सूख जाता है मगर मिट्टी की दरार रह जाती है। अपने मन को प्रसन्न रखे उसमें प्रेम का पानी डालते रहिए जिससे अंतर्मन का खेत हरा-भरा बना रहे । सफलता चाहिए तो जो पसंद है उसे हासिल करिए। शांति चाहिए तो जो हासिल है उसे पसंद करना शुरू कर दीजिए। जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति कीजिए मगर आकांक्षाओं के मायाजाल में मत उलझो अति तृष्णा इंसान को अशांति का अनुयायी बना देती है। शरीर की निरोगीता हमारे मन की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। बुरा मान= बुरे विचार= बुरा शरीर= बीमार जीवन अच्छा मन =अच्छे विचार= अच्छा शरीर निरोगी जीवन। यह जीवन जीने की पगडंडी है। मेडिटेशन गुरु उपाध्यक्ष श्री विहसंत सागर महाराज ससंघ का भव्य मंगल प्रवेश 21 जनवरी को सुबह 9:00 बजे नया बाजार जैन मंदिर में होगा।